आज महाशिवरात्रि है 21 फरवरी 2020 दिन शुक्रवार। हिंदू धर्म में हमेशा से ही महाशिवरात्रि का एक खास महत्व है। और यह हिंदुओं के प्रमुख त्योहारों में से एक है। हिंदुओं के देवता आदि देव महाकाल के सभी भक्त इस दिन की प्रतीक्षा साल भर करते हैं। ऐसा माना जाता है कि महाशिवरात्रि के दिन जो लोग शिवलिंग पर बेलपत्र, दूध, जल और भांग चढ़ाते हैं उन भक्तों के सभी मनोकामनाएं पूरी होती है और महादेव उस पर अपनी विशेष कृपा बनाते हैं।
तिथि: 21 फरवरी 2020
चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 21 फरवरी 2020 शाम 05:20 मिनट से
चतुर्थी तिथि समाप्त: 22 फरवरी 2020 शाम 07:02 मिनट तक
वैसे तो हिंदू कैलेंडर के हिसाब से 12 महीनों में 12 शिवरात्रि होती है लेकिन फाल्गुन मास की कृष्ण चतुर्दशी के दिन होने वाली शुभ रात्रि को महाशिवरात्रि कहते हैं। पुराणों में इसे खास महत्व दिया गया है।
पुराणों की माने तो महाशिवरात्रि को मनाने की 3 कारण पाए जाते हैं।
1. शिव का शिवलिंग स्वरूप
पुरानी मान्यताओं के हिसाब से महादेव ने महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग का स्वरूप लिया था और भगवान विष्णु, ब्रह्मा जी ने उनकी पूजा की थी। इसी कारण महाशिवरात्रि के दिन शिवलिंग की पूजा करने का खास महत्व है।
2. समुद्र मंथन में निकले विष का पान
यह भी कहा जाता है की महाशिवरात्रि के दिन ही समुद्र मंथन के दौरान विष निकला था। संसार को उस विष संकट से उबारने के लिए भगवान शिव ने उस विष का पान किया था। जिसके कारण उ नका गला नीला पड़ गया था और इसी कारण उन्हें नीलकंठ भी कहते हैं।
3. शिव-पार्वती का विवाह
माना जाता है की महाशिवरात्रि के दिन ही माता पार्वती और भोलेनाथ शिव का विवाह संपन्न हुआ था। और महाशिवरात्रि को लोग महामिलन के उत्सव के रूप में मनाते हैं। यह भी मान्यता है कि जो लोग शिवरात्रि पर भगवान शिव का व्रत रखते हैं। उनके विवाह में आने वाली अड़चनें दूर हो जाती हैं और उनका विवाह जल्दी हो जाता है।
चतुर्थी तिथि प्रारंभ: 21 फरवरी 2020 शाम 05:20 मिनट से
चतुर्थी तिथि समाप्त: 22 फरवरी 2020 शाम 07:02 मिनट तक
रात्रि प्रहर की पूजा का समय: 21 फरवरी 2020 शाम 06:41 मिनट से रात 12:52 मिनट तक
इस साल महाशिवरात्रि एक अलग ही ग्रहों और नक्षत्रों में पड़ रही है। जिसके कारण भोलेनाथ से ज्यादा आशीर्वाद पा सकते हैं।
कुछ बातें ध्यान रखने लायक है:
1. आज भी हल्दी हर शुभ कार्य में इस्तेमाल की जाती है लेकिन शिवजी की पूजा के दौरान हल्दी का प्रयोग नहीं करना चाहिए
2. इस दिन गंगाजल और दूध से भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए।
3. इस रात आप शिव पुराण का पाठ भी कर सकते हैं।
4. इस दिन घी, शहद और दही से भगवान का अभिषेक करना चाहिए।
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