जिस केस को एक मिसाल बन जाना चाहिए था आज वही केस दिन पर दिन बढ़ता जा रहा है। जी हां हम बात कर रहे हैं निर्भया के गुनाहगारों की। निर्भया के गुनाहगारों को तीसरी बार डेथ वारंट जारी हुआ था। 3 March सुबह 6:00 बजे उनकी फांसी का समय तय किया गया था लेकिन फांसी से मात्र साडे 12 घंटे पहले उनकी फांसी को रोक दिया गया। ऐसा पहली बार नहीं हुआ है इससे पहले 22 जनवरी को भी उनकी फांसी तय की गई थी जिसे टाल दिया गया। उसके बाद 1 फरवरी को भी फांसी की तारीख मुकर्रर की गई थी लेकिन उस डेथ वारंट को भी अगले आदेश तक टाल दिया गया था। दिल्ली के पटियाला हाउस कोर्ट ने डेथ वारंट को रद्द करते हुए कहा की फांसी से पहले दोषी को सभी कानूनी अधिकार इस्तेमाल करने का अधिकार है। बता दे की निर्भया के चारों गुनहगार अपने अधिकारों का पूर्ण इस्तेमाल करते हुए अब तक डेथ वारंट को टालते आ रहे हैं।
इसी के साथ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी गुनहगार पवन की दया याचिका को खारिज कर दिया जिससे अब चौथी बार डेथ वारंट जारी करने का रास्ता साफ हो गया है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के नियमों के अनुसार याचिका खारिज होने के बाद 14 दिन का नोटिस दिया जाता है। जिसका मतलब है कि 14 दिन बाद ही गुनहगारों को फांसी मिल सकती है। सभी गुनहगारों में से सिर्फ पवन के पास ही कानूनी विकल्प बचे थे जो अब खत्म हो चुके हैं।
इसी के साथ राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने भी गुनहगार पवन की दया याचिका को खारिज कर दिया जिससे अब चौथी बार डेथ वारंट जारी करने का रास्ता साफ हो गया है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट के नियमों के अनुसार याचिका खारिज होने के बाद 14 दिन का नोटिस दिया जाता है। जिसका मतलब है कि 14 दिन बाद ही गुनहगारों को फांसी मिल सकती है। सभी गुनहगारों में से सिर्फ पवन के पास ही कानूनी विकल्प बचे थे जो अब खत्म हो चुके हैं।
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