8 मार्च को पूरी दुनिया में अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस मनाया। सरकारी संस्थाएं हो या फिर प्राइवेट संस्थाएं सभी ने अपने-अपने अनुसार महिलाओं को सम्मान देने के लिए कार्यक्रमों का आयोजन किया। इसी कड़ी में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक अनोखी पहल करते हुए नारी शक्ति को सम्मान प्रकट किया। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने महिला दिवस के दिन अपनी सोशल मीडिया अकाउंट्स को कुछ प्रेरणादायक महिलाओं को समर्पित किया। उन्होंने 7 प्रेरणादायक महिलाओं को अपना टि्वटर हैंडल इस्तेमाल करने के लिए दिया। इन 7 महिलाओं ने अपने जीवन की कहानी, अपना संघर्ष लोगों तक मोदी के टि्वटर हैंडल द्वारा पहुंचाया।
तो जानते हैं उन महिलाओं के बारे में, उनकी कहानी के बारे में, संघर्ष के बारे में:
1. स्नेहा मोहनदास
स्नेहा मोहनदास चेन्नई की रहने वाली है। नरेंद्र मोदी के टि्वटर हैंडल से पहला ट्वीट इन्हीं का था। स्नेहा फूडबैंक इंडिया की फाउंडर है। यह संस्था बेघरों को खाना खिलाने की पहल से जुड़ी हुई है। इस संस्था की शुरुआत 2015 में हुई थी। उसके बाद इस संस्था के साथ सैकड़ों लोग जुड़े, जिनका सिर्फ एक ही लक्ष्य है और वह है भारत को हंगर फ्री नेशन बनाना।
उन्होंने एक वीडियो भी पोस्ट की जिसमें उन्होंने बताया कि उन्हें इस सब की प्रेरणा उनकी मां से मिली। उन्होंने यह भी बताया कि उनके जन्मदिन पर उनकी मां बेघर बच्चों को घर बुलाती थी और आयोजन में शामिल करती व खाना खिलाती थी।
2. मालविका अय्यर
मालविका अय्यर मोटिवेशनल स्पीकर है, एक्टिविस्ट है जो डिसेबल्ड लोगों के हक के लिए लड़ती है। मालविका ने सोशल वर्क में पीएचडी की है और वह एक फैशन मॉडल के तौर पर भी अपनी पहचान बनाती हैं। मालविका का जन्म तमिलनाडु में हुआ था और उनकी परवरिश राजस्थान के बीकानेर में। मालविका जब 13 वर्ष की थी तो उनके घर के नजदीकी एमुनेशन डिपो में आग लग गई थी। जिसके कारण आसपास उसके शेल बिखर गए थे। वही घर के पास उन्हें एक ग्रेनेड पड़ा मिला जिसे उन्होंने उठा लिया और वह ग्रेनेड उनके हाथ में ही फट गया। इस हादसे के कारण उनके दोनों हाथ चले गए और उनकी टांगों में कई फ्रैक्चर्स भी आए और साथ में नर्वस सिस्टम भी डैमेज हो गया। 2 साल तक उनका इलाज चेन्नई के एक अस्पताल में होता रहा।
इस भयानक हादसे के बाद मालविका ने हार नहीं मानी और अपनी जिंदगी दोबारा शुरू की। उन्होंने अपनी पढ़ाई भी पूरी करी और साथ-साथ कई इंटरनेशनल अवॉर्ड्स भी जीते।
आरिफा ने मोदी का ट्विटर हैंडल तीसरे नंबर पर संभाला। आरिफा जम्मू कश्मीर की रहने वाली हैं और उन्होंने कश्मीर के पारंपरिक शिल्प को आगे बढ़ाने के क्षेत्र में काम किया है। उन्होंने एक वीडियो भी पोस्ट की। जिसमें उन्होंने बताया कि उनका लक्ष्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना है और उन्हें यह सिखाना कैसे वह दूसरी महिलाओं की मदद कर सकती हैं।
उनका मानना है कि जब परंपराएं आधुनिकता से मिलती हैं तो कुछ अच्छा बन सकता है। वह यह भी मानती हैं की इन सब के कारण स्थानीय महिलाओं को रोजगार मिलता है जिससे उनकी हालत में सुधार होता है।
4. कल्पना
5. विजया पवार
विजया पवार महाराष्ट्र के रूरल एरिया के बंजारा हस्तकला क्षेत्र से आती है। कल्पना के बाद मोदी का टि्वटर विजया ने चलाया। उन्होंने एक वीडियो पोस्ट की जिसमें बताया कि वह इसी क्षेत्र में बड़ी हुई है। शादी के बाद उन्होंने यह कला अपने हस्बैंड से सीखी और उनके हस्बैंड ने अपनी मां से। जब विजया को इस कला में रुचि आने लगी तो उन्होंने इसी पर काम शुरू कर दिया।
2004 में एक एनजीओ बनाया और गांव की महिलाओं को ट्रेंड किया। फिर उन्होंने जिला स्तर तक महिलाओं को जोड़ा और खुद काम करने के लिए प्रोत्साहित किया। वह बताती हैं कि सरकार ने भी उनका खूब सहयोग किया है। यहां की महिलाएं देशभर में लगने वाली प्रदर्शनीयों में जाती हैं और खुद का बिजनेस करती हैं। इसी के साथ उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद भी किया कि जिस प्रकार उन्होंने गांव-गांव तक रोजगार पहुंचाया है वह सराहनीय है।
6. कलावती देवी
कलावती देवी कानपुर की राजापुरवा झोपड़ पट्टी में रहती हैं। उन्होंने भी प्रधानमंत्री मोदी का टि्वटर हैंडल किया। कलावती देवी की शादी 13 साल की उम्र में हुई थी, तब वह सीतापुर में रहती थी। शादी के बाद वह कानपुर के राजापुरवा स्लम में आकर अपने पति के साथ रहने लगी। यह स्लम गंदगी के ढेर के ऊपर बना हुआ है। यहां की सबसे बड़ी समस्या पीने के पानी की और शौचालय की थी। 700 लोगों की आबादी वाले पूरे मोहल्ले में एक भी शौचालय नहीं था। सब लोग खुले में शौच जाते थे। कलावती पेशे से राजमिस्त्री हैं। एक एनजीओ के साथ जुड़कर उन्होंने शौचालय बनाने का काम शुरू किया। काफी दिक्कतें भी आई लेकिन वह नहीं टूटी। 58 की उम्र तक वह लगभग 4000 शौचालय बना चुकी है। शुरू में लोग ताना मारा करते थे पर वह नहीं रुकी।
अपनी बस्ती के बाद वह दूसरी बस्तियों में भी शौचालय बनाने के काम में लगी तो फंड को लेकर दिक्कत आने लगी। जिसके लिए वह अधिकारियों से मिली जिसमें तय हुआ कि अगर मोहल्ले के लोग शौचालय के लिए कुछ खर्च उठा सकते हैं तो दो तिहाई पैसा सरकार से लिया जा सकता है। काफी समझाने के बाद दिहाड़ी मजदूरों से, रिक्शा चालकों से पैसे का इंतजाम किया और शौचालय निर्माण शुरू किया। पति के देहांत के बाद भी वह नहीं टूटी और लोगों को शौचालय के प्रति जागरूक करती रही।
7. वीणा देवी
सबसे आखिर में नरेंद्र मोदी का ट्विटर वीणा देवी ने हैंडल किया। वीणा देवी बिहार के मुंगेर की रहने वाली हैं। वह खेती के कारण प्रसिद्ध हुई। उन्होंने कई जगह जाकर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रोत्साहित किया।
उन्होंने एक वीडियो पोस्ट किया जिसमें उन्होंने बताया कि 2013 में उन्होंने मशरूम की खेती शुरू करी थी। जगह की कमी के कारण वह खेती उन्होंने उस पलंग पर शुरू करी जिस पर वह खुद सोती थी। सुनने में बहुत अजीब लगता है कि पलंग पर मशरूम की खेती हो सकती है। जब वैज्ञानिकों ने वीणा देवी से इस बारे में पूछा तो वह उन्हें एक छोटे से कमरे में ले गई जहां वह पलंग पर खेती करती थी। वह लोग उसकी फोटो खींच कर ले गए। कुछ समय बाद मुख्यमंत्री से उन्हें पुरस्कार भी दिया गया। उसके बाद वह उन्हें गांव का सरपंच बना दिया गया। उन्होंने पूरे देश के सामने मिसाल पेश की अगर करने की चाह हो तो कोई भी मुसीबत आड़े नहीं आती।
आपको पता ही होगा कि पिछले कुछ दिनों में नरेंद्र मोदी कुछ ऐसी महिलाओं के बारे में जानने की कोशिश कर रहे थे जो दूसरों के लिए प्रेरणा बन सकें। इसके लिए उन्होंने सब से प्रार्थना की थी कि अगर वह किसी ऐसी महिला को जानते हैं तो #SheInspiresUs पर उसकी कहानी को साझा करें।
तो जानते हैं उन महिलाओं के बारे में, उनकी कहानी के बारे में, संघर्ष के बारे में:
1. स्नेहा मोहनदास
स्नेहा मोहनदास चेन्नई की रहने वाली है। नरेंद्र मोदी के टि्वटर हैंडल से पहला ट्वीट इन्हीं का था। स्नेहा फूडबैंक इंडिया की फाउंडर है। यह संस्था बेघरों को खाना खिलाने की पहल से जुड़ी हुई है। इस संस्था की शुरुआत 2015 में हुई थी। उसके बाद इस संस्था के साथ सैकड़ों लोग जुड़े, जिनका सिर्फ एक ही लक्ष्य है और वह है भारत को हंगर फ्री नेशन बनाना।
उन्होंने एक वीडियो भी पोस्ट की जिसमें उन्होंने बताया कि उन्हें इस सब की प्रेरणा उनकी मां से मिली। उन्होंने यह भी बताया कि उनके जन्मदिन पर उनकी मां बेघर बच्चों को घर बुलाती थी और आयोजन में शामिल करती व खाना खिलाती थी।
2. मालविका अय्यर
मालविका अय्यर मोटिवेशनल स्पीकर है, एक्टिविस्ट है जो डिसेबल्ड लोगों के हक के लिए लड़ती है। मालविका ने सोशल वर्क में पीएचडी की है और वह एक फैशन मॉडल के तौर पर भी अपनी पहचान बनाती हैं। मालविका का जन्म तमिलनाडु में हुआ था और उनकी परवरिश राजस्थान के बीकानेर में। मालविका जब 13 वर्ष की थी तो उनके घर के नजदीकी एमुनेशन डिपो में आग लग गई थी। जिसके कारण आसपास उसके शेल बिखर गए थे। वही घर के पास उन्हें एक ग्रेनेड पड़ा मिला जिसे उन्होंने उठा लिया और वह ग्रेनेड उनके हाथ में ही फट गया। इस हादसे के कारण उनके दोनों हाथ चले गए और उनकी टांगों में कई फ्रैक्चर्स भी आए और साथ में नर्वस सिस्टम भी डैमेज हो गया। 2 साल तक उनका इलाज चेन्नई के एक अस्पताल में होता रहा।
इस भयानक हादसे के बाद मालविका ने हार नहीं मानी और अपनी जिंदगी दोबारा शुरू की। उन्होंने अपनी पढ़ाई भी पूरी करी और साथ-साथ कई इंटरनेशनल अवॉर्ड्स भी जीते।
आरिफा...
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3. आरिफाRead more at: https://hindi.asianetnews.com/national-news/who-is-arifa-kashmir-who-shares-her-story-by-pm-modi-account-kpp-q6v608
आरिफा ने मोदी का ट्विटर हैंडल तीसरे नंबर पर संभाला। आरिफा जम्मू कश्मीर की रहने वाली हैं और उन्होंने कश्मीर के पारंपरिक शिल्प को आगे बढ़ाने के क्षेत्र में काम किया है। उन्होंने एक वीडियो भी पोस्ट की। जिसमें उन्होंने बताया कि उनका लक्ष्य महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाना है और उन्हें यह सिखाना कैसे वह दूसरी महिलाओं की मदद कर सकती हैं।
उनका मानना है कि जब परंपराएं आधुनिकता से मिलती हैं तो कुछ अच्छा बन सकता है। वह यह भी मानती हैं की इन सब के कारण स्थानीय महिलाओं को रोजगार मिलता है जिससे उनकी हालत में सुधार होता है।
4. कल्पना
कल्पना पेशे से एक आर्किटेक्ट है। कई वर्ष पहले जब उनकी शादी हुई तो वह अमेरिका शिफ्ट हो गई थी। लगभग 10 साल पहले जब वह वापस आई तो पानी को लेकर काफी परेशान थी क्योंकि हैदराबाद में पानी की कमी को लेकर काफी समस्या है। वहां पर लोग पानी की बोतलों या फिर टैंकर पर निर्भर रहते हैं।
कहा जाता है कि जरूरत ही आविष्कार की जननी है। कल्पना को आईडिया आया और उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर अपने घर की छत पर ही रेन वाटर हार्वेस्टिंग शुरू कर दी। जिससे उन्हें काफी फायदा हुआ। इसके बाद उन्होंने सिंक्स और वाश बेसिन से निकलने वाले पानी को रिसाइकल करना प्रारंभ किया। जिससे पौधों को सींचने का पर्याप्त पानी मिलने लगा। उन्होंने यह प्रयास घर में शुरू किया था जिसके बाद यह काफी फेमस हुआ और सरकार के साथ-साथ वन अधिकारियों ने भी कल्पना के साथ हाथ मिलाया और इस काम में सहयोग करना शुरू कर दिया।
विजया पवार महाराष्ट्र के रूरल एरिया के बंजारा हस्तकला क्षेत्र से आती है। कल्पना के बाद मोदी का टि्वटर विजया ने चलाया। उन्होंने एक वीडियो पोस्ट की जिसमें बताया कि वह इसी क्षेत्र में बड़ी हुई है। शादी के बाद उन्होंने यह कला अपने हस्बैंड से सीखी और उनके हस्बैंड ने अपनी मां से। जब विजया को इस कला में रुचि आने लगी तो उन्होंने इसी पर काम शुरू कर दिया।
2004 में एक एनजीओ बनाया और गांव की महिलाओं को ट्रेंड किया। फिर उन्होंने जिला स्तर तक महिलाओं को जोड़ा और खुद काम करने के लिए प्रोत्साहित किया। वह बताती हैं कि सरकार ने भी उनका खूब सहयोग किया है। यहां की महिलाएं देशभर में लगने वाली प्रदर्शनीयों में जाती हैं और खुद का बिजनेस करती हैं। इसी के साथ उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का धन्यवाद भी किया कि जिस प्रकार उन्होंने गांव-गांव तक रोजगार पहुंचाया है वह सराहनीय है।
6. कलावती देवी
कलावती देवी कानपुर की राजापुरवा झोपड़ पट्टी में रहती हैं। उन्होंने भी प्रधानमंत्री मोदी का टि्वटर हैंडल किया। कलावती देवी की शादी 13 साल की उम्र में हुई थी, तब वह सीतापुर में रहती थी। शादी के बाद वह कानपुर के राजापुरवा स्लम में आकर अपने पति के साथ रहने लगी। यह स्लम गंदगी के ढेर के ऊपर बना हुआ है। यहां की सबसे बड़ी समस्या पीने के पानी की और शौचालय की थी। 700 लोगों की आबादी वाले पूरे मोहल्ले में एक भी शौचालय नहीं था। सब लोग खुले में शौच जाते थे। कलावती पेशे से राजमिस्त्री हैं। एक एनजीओ के साथ जुड़कर उन्होंने शौचालय बनाने का काम शुरू किया। काफी दिक्कतें भी आई लेकिन वह नहीं टूटी। 58 की उम्र तक वह लगभग 4000 शौचालय बना चुकी है। शुरू में लोग ताना मारा करते थे पर वह नहीं रुकी।
अपनी बस्ती के बाद वह दूसरी बस्तियों में भी शौचालय बनाने के काम में लगी तो फंड को लेकर दिक्कत आने लगी। जिसके लिए वह अधिकारियों से मिली जिसमें तय हुआ कि अगर मोहल्ले के लोग शौचालय के लिए कुछ खर्च उठा सकते हैं तो दो तिहाई पैसा सरकार से लिया जा सकता है। काफी समझाने के बाद दिहाड़ी मजदूरों से, रिक्शा चालकों से पैसे का इंतजाम किया और शौचालय निर्माण शुरू किया। पति के देहांत के बाद भी वह नहीं टूटी और लोगों को शौचालय के प्रति जागरूक करती रही।
7. वीणा देवी
सबसे आखिर में नरेंद्र मोदी का ट्विटर वीणा देवी ने हैंडल किया। वीणा देवी बिहार के मुंगेर की रहने वाली हैं। वह खेती के कारण प्रसिद्ध हुई। उन्होंने कई जगह जाकर महिलाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए प्रोत्साहित किया।
उन्होंने एक वीडियो पोस्ट किया जिसमें उन्होंने बताया कि 2013 में उन्होंने मशरूम की खेती शुरू करी थी। जगह की कमी के कारण वह खेती उन्होंने उस पलंग पर शुरू करी जिस पर वह खुद सोती थी। सुनने में बहुत अजीब लगता है कि पलंग पर मशरूम की खेती हो सकती है। जब वैज्ञानिकों ने वीणा देवी से इस बारे में पूछा तो वह उन्हें एक छोटे से कमरे में ले गई जहां वह पलंग पर खेती करती थी। वह लोग उसकी फोटो खींच कर ले गए। कुछ समय बाद मुख्यमंत्री से उन्हें पुरस्कार भी दिया गया। उसके बाद वह उन्हें गांव का सरपंच बना दिया गया। उन्होंने पूरे देश के सामने मिसाल पेश की अगर करने की चाह हो तो कोई भी मुसीबत आड़े नहीं आती।
आपको पता ही होगा कि पिछले कुछ दिनों में नरेंद्र मोदी कुछ ऐसी महिलाओं के बारे में जानने की कोशिश कर रहे थे जो दूसरों के लिए प्रेरणा बन सकें। इसके लिए उन्होंने सब से प्रार्थना की थी कि अगर वह किसी ऐसी महिला को जानते हैं तो #SheInspiresUs पर उसकी कहानी को साझा करें।
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