साल 1934 में विज्ञान के इतिहास में ऐसा कुछ हुआ जिसकी किसी को भी उम्मीद नहीं थी। कुदरत के नियम को चुनौती देते हुए ब्रोकली के वैज्ञानिक Robert E Cornish ने एक मरे हुए जानवर को जिंदा करके दिखा दिया था। यह अब तक का सबसे खतरनाक और चुनौती भरा प्रयोग था। इस प्रयोग पर बाद में एक फिल्म भी बनाई गई थी जिसमें Robert द्वारा किए गए प्रयोग का असल वीडियो भी दिखाया गया था। लेकिन बाद में Robert के साथ कुछ ऐसा हुआ कि उन्होंने इस प्रयोग को दोबारा ना करने की कसम खा ली।
Robert E Cornish ने अपने इस प्रयोग के लिए कई ऐसे काम भी किए जिसके बाद दुनिया उन्हें Mad Scientist कहने लगी थी। मनुष्य को पुनर्जीवित करने के लिए Robert सालों से रिसर्च कर रहे थे। जिसके बाद उन्होंने एक ऐसी टेक्निक निकाली जिससे मरे हुए लोगों को जिंदा किया जा सकता था। उनका मानना था कि अगर किसी मरे हुए इंसान के अंदर अगर खून का बहना फिर से शुरू हो जाए तो उसे जिंदा किया जा सकता है और वह इस चीज को साबित करना चाहते थे। इसके लिए उन्होंने कुछ साधारण उपकरणों की मदद ली। उन्होंने बच्चों के झूलने वाले झूले जिसे see-saw कहा जाता था उसका बोर्ड इस्तेमाल किया। इस प्रयोग में रॉबर्ट मरे हुए व्यक्ति को बोर्ड पर लिटा कर जोर-जोर से घुमाते थे। जिसकी वजह से शरीर के अंदर रक्त का संचार फिर से शुरू किया जा सके। इस प्रयोग को सफल बनाने के लिए उन्होंने मेडिकल प्रक्रियाएं भी करी लेकिन सफलता नहीं मिली। इस प्रयोग में असफल होने के बाद रॉबर्ट ने यह प्रयोग जानवरों पर करने का सोचा। मई 1934 में रॉबर्ट ने अपने प्रयोग के लिए पांच कुत्तों का इस्तेमाल किया। जिसका नाम रॉबर्ट ने Lazarus 1, 2,3, 4, 5 रखा। इन सभी कुत्तों को रॉबर्ट ने नाइट्रोजन गैस का मिक्सचर देकर मार दिया और इनके मरे हुए शरीर को See-saw बोर्ड से बांध दिया। उसके बाद इन कुत्तों के शरीर में इंजेक्शन की मदद से ऐसा मिक्सचर डाला गया जिसमें अलग अलग तरीके के घातक केमिकल मिले हुए थे और इसके बाद उनके मुंह में मशीन की मदद से ऑक्सीजन दी गई। इस दौरान बोर्ड को भी आगे पीछे घुमाया जा रहा था ताकि मिक्सचर पूरे शरीर में एक समान रूप से जा सके।
प्रयोग के बाद पहले तीन कुत्ते कुछ समय के लिए जिंदा तो हो गए लेकिन कुछ देर बाद वह कोमा में चले गए। लेकिन बाकी दो कुत्तों को सफलतापूर्वक जिंदा कर लिया गया था। साल 1935 में मॉडर्न मकैनिक में छपे एक आर्टिकल के अनुसार पुनर्जीवित होने के बाद Lazarus 4 यानी चौथे नंबर का कुत्ता किसी सहारे के बिना खड़ा नहीं हो पाता था और पांचवा कुत्ता केवल 4 दिनों में ही वापस नॉर्मल हो गया था। हालांकि एक्सपेरिमेंट के बाद यह दोनों कुत्ते कब तक जीवित रहे इसका पता किसी को भी नहीं चला। 1934 में रॉबर्ट के एक्सपेरिमेंट के ऊपर एक फिल्म भी बनाई गई जिसका नाम था Life Returns। इस फिल्म में खुद रॉबर्ट ने बतौर अभिनेता काम किया था और साथ ही इस फिल्म में रॉबर्ट द्वारा किए गए असल एक्सपेरिमेंट के वीडियो का भी इस्तेमाल किया गया था। जिस कारण इस फिल्म का काफी विरोध हुआ। यह फिल्म आज भी यूट्यूब पर मौजूद है।
News Paper Article on Robert's Experiment |
शुरुआत में रॉबर्ट यह एक्सपेरिमेंट कैलिफोर्निया में कर रहे थे लेकिन मीडिया और लोगों के भारी दबाव और आलोचना के बाद वहां से जाना पड़ा। इस एक्सपेरिमेंट का कुत्तों पर किए जाने के कारण उनका हर जगह विरोध हो रहा था। हालांकि इतनी आलोचना और दबाव के बाद भी रॉबर्ट का यह एक्सपेरिमेंट इतिहास में सबसे सफल प्रयोगों में से एक माना जाता है। जानवरों पर यह प्रयोग तो सफल हो गया तो 1947 में रॉबर्ट को विचार आया कि इस प्रयोग को किसी मृत व्यक्ति के शरीर पर भी किया जाना चाहिए। इस प्रयोग के लिए उन्हें एक व्यक्ति भी मिल गया था जिसका नाम Thomas था। एक बच्चे के कत्ल के आरोप में थॉमस को मृत्युदंड दिया गया था। जब इस प्रयोग के बारे में थॉमस को पता लगा तो थॉमस ने उनसे संपर्क किया। जिसके बाद रॉबर्ट ने कोर्ट से थॉमस के मृत शरीर पर प्रयोग करने की इजाजत मांगी। लेकिन कोर्ट ने इसकी इजाजत नहीं दी। कोर्ट ने कहा कि अगर थॉमस दुबारा जीवित हो गया तो उसे रिहा करना पड़ेगा जोकि कानून के हिसाब से गलत होगा। इस बात के बाद रॉबर्ट को गहरा सदमा लगा और उन्होंने इस प्रयोग को कभी ना करने की कसम खाली।
जरा सोचिए क्या होता अगर रॉबर्ट किसी मृत व्यक्ति को पुनर्जीवित करने में सफल हो जाते हैं।रॉबर्ट के बाद दुनिया भर में कई वैज्ञानिकों ने इंसान को पुनर्जीवित करने की कोशिशें की लेकिन उन्हें सफलता नहीं मिली। हालांकि आज भी ऐसे कई देश हैं जहां इस विषय पर खोज चल रही है और नये-नए प्रयोग हर दिन किए जा रहे हैं।
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