इस आदमी पर से भरोसा उसी दिन उठ गया था, जब इसने सनी देओल का जीजा बनकर उन्हें धोखा दिया था
परदे पर अब तक 182 बार मर चुका है ये एक्टर। 19 जून को आशीष का Birthday होता है। Happy Birthday...
पुलिस विभाग में एक बड़ा अफसर था। देखने में काफी भला। वर्दी में बिल्कुल ऐसा लगता जैसे शराफत टपक रही हो और अगर बात करें शराफत की तो शराफत का इससे बड़ा कोई और सबूत हो ही नहीं सकता की फिल्म का मुख्य किरदार हीरो अपनी प्यारी बहन की शादी इस अफसर से करवा दे। लेकिन सच तो यह है कि जैसा यह दिखता था यह बिल्कुल वैसा नहीं था। हीरो ने इस पर काफी भरोसा किया लेकिन इतने तगड़ा वाला धोखा दिया विश्वासघात किया। पुलिस होकर भी गुंडों के साथ मिला और हीरो के बड़े भाई को जान से मरवा दिया। वही दिन था कि इस आदमी से ऐसा विश्वास उठा कि दुबारा विश्वास करने की हिम्मत ही नहीं हुई।
यह सब पढ़ने के बाद आपको समझ तो आ ही गया है होगा कि हम किस फिल्म की बात कर रहे हैं। जी हां फिल्म का नाम है 'जिद्दी'। इस फिल्म में मुख्य किरदार के रूप में सनी देओल है। यह फिल्म 1997 में रिलीज हुई थी। और जिस पुलिस अफसर की बात यहां हो रही है उनका नाम है आशीष विद्यार्थी Ashish Vidyarthi.
आशीष का जन्म दिल्ली में 19 जून 1962 को हुआ था। इनकी मां रेवा विद्यार्थी बंगाली थी और काफी मशहूर कत्थक डांसर भी थी। इनके पिता गोविंद विद्यार्थी मलयाली थे और केरल में मशहूर थिएटर आर्टिस्ट थे। यही कारण है आशीष को थिएटर की कला उनके माता-पिता से विरासत में मिली है। आशीष ने सिनेमा में आने से पहले थिएटर में काफी काम किया है और आज भी करते ही रहते हैं। इनका एक काफी मशहूर नाटक है जिसका नाम 'दयाशंकर की डायरी' है। यह नाटक काफी लोगों के जीवन से जुड़ा हुआ है। इस नाटक में एक ऐसे आदमी की कहानी को दर्शाया गया है जो मुंबई फिल्म इंडस्ट्री में काम करने के लिए आता है लेकिन उसे काम नहीं मिलता और उसके बाद उसकी मेंटल कंडीशन कैसी होती है। यह सब बड़ी ही सहज तरीके से दिखाया गया है।
आशीष की पहली फिल्म एक कन्नड़ फिल्म थी जिसका नाम था 'आनंद' और यह 1986 में रिलीज हुई थी। उनकी छठी फिल्म 'द्रोहकाल' 1994 में रिलीज हुई। और इस फिल्म के लिए उन्हें नेशनल अवार्ड भी मिला। वह दिन तो आज का दिन अब तक आशीष 12 भाषाओं में 200 से ज्यादा फिल्मों में काम कर चुके हैं और यह अपनी फिल्मों में ज्यादातर नेगेटिव किरदार ही निभाते आए हैं।
आशीष विद्यार्थी का सरनेम काफी चर्चाओं में रहा है। उन्होंने अपने इंटरव्यू में बताया था इनके पिता गोविंद विद्यार्थी काफी अच्छी पर्सनालिटी है और उनके जीवन का हमेशा से एक ही मूल मंत्र रहा है सीखते रहना। और यही कारण है कि उनके पिता ने अपने नाम के आगे विद्यार्थी सरनेम जोड़ लिया और पिता से यह उनको मिला।
आशीष बताते हैं उनके पेरेंट्स काफी strict थे। और जब उनकी कॉलेज लाइफ की शुरुआत हुई तो वह अपने आप को काफी फ्री महसूस करने लगे। अपने कॉलेज के पहले दिन ही उन्होंने सड़क पर एक सिगरेट की दुकान देखी और उन्होंने वहां जाकर सिगरेट पी। इससे पहले उन्होंने कभी भी सिगरेट नहीं पी थी। सिगरेट के कारण उनको खांसी भी आने लगी। उन्हें किसी ने टोका भी नहीं और वही से उन्हें सिगरेट की लत लग गई। उन्होंने दिल्ली यूनिवर्सिटी के हिंदू कॉलेज से हिस्ट्री में ग्रेजुएशन की डिग्री ली है।
आशीष अपने कैरियर में ज्यादातर नेगेटिव किरदार ही निभाए हैं और हिंदी सिनेमा की फिल्मों में विलेन को तो हीरो के हाथों मरना ही पड़ता है। यही कारण है की अब तक पर्दे पर 182 बार मर चुके हैं। फिल्म के डायरेक्टर भी आशीष के मरने को लेकर काफी परेशान रहते हैं और उन्हें मारने के नए-नए तरीके सोचने पढ़ते हैं।
फिल्म में अपने किरदार को असल दिखाने के लिए आशीष बहुत मेहनत करते हैं और कभी-कभी सीमा तक पार कर देते हैं। छत्तीसगढ़ के एक जगह पर 'बॉलीवुड डायरी' नाम की फिल्म की शूटिंग कर रहे थे। इस शूटिंग के दौरान उन्हें पानी में उतरना था लेकिन एक्टिंग में वह इतने घुस गए कि वह ज्यादा गहरे पानी में चले गए। फिल्म के स्टाफ को लगा कि यह काफी बड़े एक्टर हैं और बढ़िया परफॉर्म कर रहे हैं। लेकिन सच तो यह था कि बेचारे आशीष सच में ही पानी में डूब रहे थे। वहीं पास में एक पुलिसवाला अपनी ड्यूटी कर रहा था। उसने जैसे यह सब लिखना देखा तो बिना किसी से कुछ कहे वह पानी में कूद गया और आशीष को बचाकर बाहर निकाला। इसके बाद पूरी टीम ने उस पुलिसवाले का धन्यवाद किया और आगे की शूटिंग की।
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