Demosthenes सिर्फ नाम ही नहीं है बल्कि मार्गदर्शन के लिए एक ऐसी शख्सियत है जिसका पूरी दुनिया में कोई मुकाबला नहीं है। किसी को नन्हे Demosthenes से ज्यादा उम्मीदें नहीं थी। कमजोर, मंद सा दिखने वाला बच्चा हकला कर बोलता था। जब Demosthenes 7 साल के थे तो उनके पिता का देहांत हो गया। उनके पिता Athens, Greece में रहा करते थे और वह शिक्षा का महत्व बड़े अच्छे से जानते थे इसीलिए वह Demosthenes की पढ़ाई के लिए सारा खर्चा, दौलत, जायदाद छोड़ कर गए थे। अगर उसकी कीमत लगाई जाए तो आज के हिसाब से वह लगभग ₹10 करोड़ रुपए थी। जैसा कि आप अंदाजा लगा सकते हैं वैसा ही हुआ रिश्तेदार कहें या Guardians या अभिभावक जिनका काम था पैसे की देखभाल करना वे चील कौओं की तरह मासूम डेमोंस्थनीज की जायदाद और उसके साथ साथ उसका भविष्य नोच कर खाने लगे।
Athens उस समय रिपब्लिक था। मतलब हर कोई जैसे कि आम जनता भी खुली हुई लोकसभा में हिस्सा ले सकती थी। जिसको जनता पसंद नहीं करती, वह भले ही कितने काम की बात करें, कितना भी भला इंसान हो, उसे शोर मचा कर ताने मार कर बोलने नहीं देती थी। ऐसी ही एक खुली बैठक में Demosthenes ने बचपन में एक वक्ता को भाषण देते हुए देखा था कि कैसे लोगों का ध्यान उसके एक-एक शब्द पर झूल रहा है। कैसे सबकी आंखों में उसके लिए सम्मान और जिज्ञासा थी। कैसे वह एक हीरो की तरह अपनी आवाज और बुद्धि के दम पर अपने प्रतिदिन प्रतिद्वंदीयों को परास्त कर रहा था। वह दृश्य उसके दिमाग में टैटू की तरह छप गया था। 20 साल के होते होते Demosthenes को सच्चाई समझ आने लगी थी। अपने रिश्तेदारों को कोर्ट में हराने के लिए ना पैसे थे और ना ही कोई मदद। उसे अपने अंदर वही हीरो खोजने की जरूरत थी। इसलिए उन्होंने खुद एक-एक करके अपनी कमियों पर काम करना शुरू कर दिया। वे नदी पर जाते और अपने मुंह में चिकने पत्थर भर लेते और फिर बोलने का अभ्यास करते। जिससे उनकी जुबान मजबूत हो और लड़खड़ा हट कम हो जाए और यह हकलाहट से बचने के लिए जल्दबाजी में बात ना करें। अपने lungs की ताकत बढ़ाने के लिए वे पहाड़ पर चढ़ते-दौड़ते हुए भाषण की प्रैक्टिस करते। उन्होंने एक साथ मतलब बिना सांस रोके स्पीच देने का अभ्यास भी कर लिया था। अपनी आवाज की ताकत बढ़ाने के लिए समुद्र की लहरों की गड़गड़ाहट के सामने जोर-जोर से चिल्लाते। उन दिनों माइक नहीं हुआ करता था। जनता पर छाप छोड़ने के लिए उन्हें उच्च स्वर और Dramatical expressions यानी नाटकीय हावभाव की जरूरत थी। उन्होंने एक शीशा भी खरीद लिया था। जिसमें वह अपने हाव-भाव देखते और उन्हें सुधारते रहते। लंबे समय के प्रयास के बाद उनकी आवाज और बोलने का तरीका बहुत प्रभावशाली हो गया। जब उन्होंने पहली बार स्पीच दी वाक्य लंबे थे और मुहावरे कॉम्प्लिकेटेड। तो उनकी खिल्ली उड़ा दी गई।
जैसा आप समझ रहे हैं की Demosthenes आम लड़कों में से नहीं थे जो शिकायत करें की दुनिया कितनी निरीह और संवेदनहीन है। उन्होंने अपनी गलतियां देखना शुरू किया तो पाया कि उनमें अभी तर्कशक्ति, reasoning और विद्या की कमी है। उन्होंने underground कोठरी में अपने आप को बंद कर लिया और उस समय के प्रचलित subjects में ज्ञानार्जन शुरू कर दिया। अपना आधा सर भी मुंडवा दिया जिससे वे कमरे के बाहर नहीं निकल पाए। महीनों बाद जब कभी वह वह दुनिया में बाहर निकलते तो उनके हर संवाद हर लेन-देन हर व्यवहार का एक ही मकसद होता अपनी कला को तराशने के लिए प्रेरणा लेना। जो भी बात होती वह उसके बारे में कई बार सोचते कि इसको और किन तरीकों से कहा जा सकता था।
फिर लंबी लड़ाई शुरू हुई। रिश्तेदारों ने बड़े-बड़े वकील बुलाए, षडयंत्र रचे। लेकिन Demosthenes को हरा नहीं पाए। जब चील कौवे का हुजूम हटा तो ज्यादा संपत्ति नहीं बची थी। लेकिन Demosthenes ने कुछ बड़ा हासिल कर लिया था। वह वाककला में पारंगत हो चुके थे और सीखने की कला को भी सीख चुके थे। उनका नाम और ख्याति फैल चुकी थी। लोग उनके पास कानून और बिजनेस की सलाह लेने आने लगे थे। अगले 10 साल काम करते और सीखते रहे। वह 30 साल की उम्र में पॉलिटिक्स में उतरे अपनी स्पीच या वाककला और समझ से देश को Macedonia के खिलाफ एकजुट किया।
इस कहानी से 2 प्रैक्टिकल बातें सीखने को मिलती हैं:
1. अगर आप Demosthenes को सीधे 30-35 साल की उम्र में देखते तो कहते क्या Personality है, क्या Talent है। उसी तरह जब Demosthenes बड़े नेता बने तो एक महाशय उनसे पूछते हैं कि आपकी सफलता का श्रेय किसको देंगे। तो Demosthenes कहते हैं Action, Action, Action.
जब भी हमें लगे कि हमारे साथ अन्याय हो रहा है, कितने अनलकी हैं हम। हमें जान लेना चाहिए, खुद को सावधान कर लेना चाहिए कि यह एक Reaction है।
Athens उस समय रिपब्लिक था। मतलब हर कोई जैसे कि आम जनता भी खुली हुई लोकसभा में हिस्सा ले सकती थी। जिसको जनता पसंद नहीं करती, वह भले ही कितने काम की बात करें, कितना भी भला इंसान हो, उसे शोर मचा कर ताने मार कर बोलने नहीं देती थी। ऐसी ही एक खुली बैठक में Demosthenes ने बचपन में एक वक्ता को भाषण देते हुए देखा था कि कैसे लोगों का ध्यान उसके एक-एक शब्द पर झूल रहा है। कैसे सबकी आंखों में उसके लिए सम्मान और जिज्ञासा थी। कैसे वह एक हीरो की तरह अपनी आवाज और बुद्धि के दम पर अपने प्रतिदिन प्रतिद्वंदीयों को परास्त कर रहा था। वह दृश्य उसके दिमाग में टैटू की तरह छप गया था। 20 साल के होते होते Demosthenes को सच्चाई समझ आने लगी थी। अपने रिश्तेदारों को कोर्ट में हराने के लिए ना पैसे थे और ना ही कोई मदद। उसे अपने अंदर वही हीरो खोजने की जरूरत थी। इसलिए उन्होंने खुद एक-एक करके अपनी कमियों पर काम करना शुरू कर दिया। वे नदी पर जाते और अपने मुंह में चिकने पत्थर भर लेते और फिर बोलने का अभ्यास करते। जिससे उनकी जुबान मजबूत हो और लड़खड़ा हट कम हो जाए और यह हकलाहट से बचने के लिए जल्दबाजी में बात ना करें। अपने lungs की ताकत बढ़ाने के लिए वे पहाड़ पर चढ़ते-दौड़ते हुए भाषण की प्रैक्टिस करते। उन्होंने एक साथ मतलब बिना सांस रोके स्पीच देने का अभ्यास भी कर लिया था। अपनी आवाज की ताकत बढ़ाने के लिए समुद्र की लहरों की गड़गड़ाहट के सामने जोर-जोर से चिल्लाते। उन दिनों माइक नहीं हुआ करता था। जनता पर छाप छोड़ने के लिए उन्हें उच्च स्वर और Dramatical expressions यानी नाटकीय हावभाव की जरूरत थी। उन्होंने एक शीशा भी खरीद लिया था। जिसमें वह अपने हाव-भाव देखते और उन्हें सुधारते रहते। लंबे समय के प्रयास के बाद उनकी आवाज और बोलने का तरीका बहुत प्रभावशाली हो गया। जब उन्होंने पहली बार स्पीच दी वाक्य लंबे थे और मुहावरे कॉम्प्लिकेटेड। तो उनकी खिल्ली उड़ा दी गई।
जैसा आप समझ रहे हैं की Demosthenes आम लड़कों में से नहीं थे जो शिकायत करें की दुनिया कितनी निरीह और संवेदनहीन है। उन्होंने अपनी गलतियां देखना शुरू किया तो पाया कि उनमें अभी तर्कशक्ति, reasoning और विद्या की कमी है। उन्होंने underground कोठरी में अपने आप को बंद कर लिया और उस समय के प्रचलित subjects में ज्ञानार्जन शुरू कर दिया। अपना आधा सर भी मुंडवा दिया जिससे वे कमरे के बाहर नहीं निकल पाए। महीनों बाद जब कभी वह वह दुनिया में बाहर निकलते तो उनके हर संवाद हर लेन-देन हर व्यवहार का एक ही मकसद होता अपनी कला को तराशने के लिए प्रेरणा लेना। जो भी बात होती वह उसके बारे में कई बार सोचते कि इसको और किन तरीकों से कहा जा सकता था।
फिर लंबी लड़ाई शुरू हुई। रिश्तेदारों ने बड़े-बड़े वकील बुलाए, षडयंत्र रचे। लेकिन Demosthenes को हरा नहीं पाए। जब चील कौवे का हुजूम हटा तो ज्यादा संपत्ति नहीं बची थी। लेकिन Demosthenes ने कुछ बड़ा हासिल कर लिया था। वह वाककला में पारंगत हो चुके थे और सीखने की कला को भी सीख चुके थे। उनका नाम और ख्याति फैल चुकी थी। लोग उनके पास कानून और बिजनेस की सलाह लेने आने लगे थे। अगले 10 साल काम करते और सीखते रहे। वह 30 साल की उम्र में पॉलिटिक्स में उतरे अपनी स्पीच या वाककला और समझ से देश को Macedonia के खिलाफ एकजुट किया।
इस कहानी से 2 प्रैक्टिकल बातें सीखने को मिलती हैं:
1. अगर आप Demosthenes को सीधे 30-35 साल की उम्र में देखते तो कहते क्या Personality है, क्या Talent है। उसी तरह जब Demosthenes बड़े नेता बने तो एक महाशय उनसे पूछते हैं कि आपकी सफलता का श्रेय किसको देंगे। तो Demosthenes कहते हैं Action, Action, Action.
जब भी हमें लगे कि हमारे साथ अन्याय हो रहा है, कितने अनलकी हैं हम। हमें जान लेना चाहिए, खुद को सावधान कर लेना चाहिए कि यह एक Reaction है।
Re + Action
मतलब जो गलती एक बार हो चुकी है
जो अन्याय एक बार हो चुका है
उसे अपने साथ या किसी और के साथ दोबारा दोहराना
20 साल के Demosthenes को जब पता चला कि उनके साथ ऐसा अन्याय हुआ है तो वह गुस्से से भर गए होंगे। लेकिन अगर वे गुस्से और अपनी शक्ति Reaction में खर्च कर देते तो अपने भविष्य के लिए Action नहीं ले पाते। Action हमारा Natural Instinct है। जब हम गिरते हैं तो हाथ अपने आप हमें बचाने की, Balance बनाने की कोशिश करता है। Action हमारे शरीर का स्वभाव है जिसे केवल हमारे मन का Reaction रोकता है। वे इसकी ताकत जानते होंगे इसलिए Demosthenes कहते हैं Action, Action, Action.
2. दूसरी Practical बात - जो Demosthenes ने सीखने के लिए किया था उसे कहते हैं Deliberate Practice. उन्होंने भाषण या Public Speaking की कला के basics समझकर उसे मूल रूप में तोड़ दिया।
जैसे स्पष्ट बोलना (मुंह में पत्थर)
ऊंची आवास का होना
आवाज जिसके लिए खुला गला और मजबूत lungs चाहिए थे (समुद्र पर पहाड़ के साथ अभ्यास)
Logical Reasoning तर्कशक्ति और कानूनी ज्ञान (Distraction हटाने के लिए बाल मुंडवा देना)
और इसको सीखने के लिए उन्होंने छोटे-छोटे उपाय किए और एक-एक पार्ट पर अलग-अलग अभ्यास करके उन्होंने सारे पार्ट्स को एक साथ एक कला के रूप में जोड़ दिया।
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